Tum
काश! ये उम्र कुछ यूं गुजर जाए, तू संग रहे हर दिन, आंखों तले कोई नमी न आए। मैं कुछ बचा हूं बाकी सिर्फ तेरे एहसास के लिए, दिन ढले तेरे ख्याल में और शाम तुझ संग निकल जाए। मैं क्या कहूं क्या हो तुम इस नाचीज़ के लिए, जो तुझे देख मेरा बिखरा हुआ मौसम सिमट जाए। तेरे हाथो का स्पर्श ही कातिल; रूह खोल दे, तू रहे नयन के समक्ष और ये जिंदगी निपट जाए। तेरे गम को हकदार बना लू मैं कुछ इस तरह, मैं बंद करू आंखे और तेरी मुस्कान झलक जाए! मैं हूं हैरान तेरे प्रेम और शालीनता से, कि नाम लू सुकून और तू नज़र आए। काश! ये बाकी उम्र कुछ यूं गुज़र जाए। ❤❤