साथ
किस्मतो के इस दौर में, दिल यूं सहम - सा गया
ख्वाहिशें थी जो पलको तले, चैन उसे पूरा करते करते खो गया
अरमानों के इस जंजाल में, हृदय क्यू थक कर सो गया?
मेरी खामियों के आसार से , आलम कुछ यूं सा हो गया,
तू पास हो ना हो , साथ हो ये जरूरी हो गया।
क्यू डर है, तुझे न देख पाने का?
शायद जंजीरे बंधी है, परिस्थितियों के मैदान में ।
वो घड़ी यूं लम्हा बन उड़ चली,
परे दूर उस असीम आसमान में।
तू ज़िद तो कर ठहर जाने की,
लालसा में , स्वयं मै बेहद मजबूर हो गया,
तू पास हो ना हो , साथ हो ये जरूरी हो गया।

Comments
Post a Comment