Poems
(1)
बेचैन जज़्बात लिए बैठे थे , इंतज़ार में तेरे
एक पल भी सब्र ना हुआ ,
ये आयाम थे मेरे ।
सूना पड़ा दिल,
हुई थमी सी सांसे
ख़यालो को चैन नहीं ,
बगैर विचार के तेरे ।
सुनसान ना हो जाएं ये खिलखिलाता सा आलम ,
तरस हो उठे दीदार को तेरे ।
(2)
ना हम संभल रहे , यूं टूट जाने के भय में,
उस हर पल बिखर गए।
तन्हा सा मै ,सुनसान उस लय में
तू मिला जैसे निखर गए,
हाथ पकड़ , चल मेरे संग
एहसास लिए हम, मीलों गुजर गए।
(3)
जब जब इन आँखों ने तुझे ताका,
दिल में तेरी एक तस्वीर बना ली
छलकती रहे मुस्कान वो,
होठ तेरे न थमे कभी
बयां करती रहे आँखें वो ,
पलके तेरी न झुके कभी
ये मुस्कान हमने अपनी तक़दीर बना ली!
मिल जाता है सुकून तेरी एक झलक से ही
खुशियों ने ऐसी लकीर बना ली!
मैं रहू ना रहू तेरे हिस्से में,
इतना प्यार और ख़ुशी देंगे तुम्हे
आरज़ू हमने कुछ ऐसी हसीन बना ली !
(4)
आज तम्मन्ना है कि पा लूँ उस दिल की ज़मीं
कुछ वक़्त ही सही,
हो हाथों में हाथ तेरा,
ख्वाबों में ख्वाब तेरा,
होठों पर नाम तेरा,
जी लूँ बेपनाह वो पल मै, हसीं!
ऐ लम्हे तू इस कदर मेरा हो जा,
की न हो एक आह भी मुझे,
बिखर जाने के उस भय से,
दिखे साथ जब संग वो तेरा,
निखर जाये ये ज़िंदगी, खिलते फूलों सी रंगीन,
आज ख्वाहिश है कि पा लूँ उस दिल की ज़मीं !
(5)
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